अब भला छोड़ के घर क्या करते
- My Campus Buddy
- Sep 23, 2021
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अब भला छोड़ के घर क्या करते शाम के वक़्त सफ़र क्या करते
तेरी मसरूफ़ियतें जानते हैं अपने आने की ख़बर क्या करते
जब सितारे ही नहीं मिल पाए ले के हम शम्स-ओ-क़मर क्या करते
वो मुसाफ़िर ही खुली धूप का था साए फैला के शजर क्या करते
ख़ाक ही अव्वल ओ आख़िर ठहरी कर के ज़र्रे को गुहर क्या करते
राय पहले से बना ली तू ने दिल में अब हम तिरे घर क्या करते
इश्क़ ने सारे सलीक़े बख़्शे हुस्न से कस्ब-ए-हुनर क्या करते
शा’इरा: परवीन शाकिर
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