My campus buddy has shortlisted the best Poetry to use as filler on stage during college events.
Ghazal ( ग़ज़ल )
है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र रहा न क़याम है कहीं कारोबार सी दोपहर कहीं बद-मिज़ाज सी शाम है — बशीर बद्र | तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया — तहज़ीब हाफ़ी |
तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा कर के दिल के बाज़ार में बैठे हैं ख़सारा कर के — राहत इंदौरी | |
तू ने देखा है कभी एक नज़र शाम के बा’द कितने चुप-चाप से लगते हैं शजर शाम के बा’द — फ़रहत अब्बास शाह |
Sher ( शेर )
बेकार ख्यालों से लिपट कर नहीं देखा जो कुछ भी हुआ हमने पलट कर नहीं देखा इस डर से कि कट जाए ना बिनाई के रेशे आंखों ने तेरी राह से हटकर नहीं देखा — फ़रहत अब्बास शाह | उस की आँखों में मोहब्बत की चमक आज भी है उस को हालाँकि मिरे प्यार पे शक आज भी है नाव में बैठ के धोए थे कभी हाथ उस ने सारे तालाब में मेहंदी की महक आज भी है — तनवीर ग़ाज़ी |
हालात के क़दमों पे क़लंदर नहीं गिरता टूटे भी जो तारा तो ज़मीं पर नहीं गिरता गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता — क़तील शिफ़ाई | हर एक हर्फ का अन्दाज बदल रखा है आज से हमने तेरा नाम ग़ज़ल रखा है मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दिया मेरे कमरे में भी एक ताजमहल रखा है। — राहत इंदौरी |
खता हमसे हुई है क्या जो ये दिल हमसे टूट बैठा है, न जाने किसके कहने पर वो हमसे रूठ बैठा है , की मैंने हर तरीके है समझाया न माना वो , जुबाँ खामोश करके इस कदर महबूब बैठा है । — अज्ञात | तेरे पहलू में हो सर और क़ज़ा आ जाए मौत ऐसी हो मेरी जान तो मजा आ जाए मेरा तुझसे है वो रिश्ता के इबादत के पहर मैं तेरा नाम लूं और छम से खुदा आ जाए — मुकेश आलम |
ये तेरे ख़त तिरी ख़ुशबू ये तेरे ख़्वाब-ओ-ख़याल मता-ए-जाँ हैं तिरे क़ौल और क़सम की तरह गुज़शता साल इन्हें मैं ने गिन के रक्खा था किसी ग़रीब की जोड़ी हुई रक़म की तरह — जौन एलिया | तुम्हें जीने में आसानी बहुत है तुम्हारे ख़ून में पानी बहुत है कबूतर इश्क़ का उतरे तो कैसे तुम्हारी छत पे निगरानी बहुत है — कुमार विश्वास |
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