top of page

तू ने देखा है कभी एक नज़र शाम के बा’द

Updated: Mar 28, 2022

तू ने देखा है कभी एक नज़र शाम के बा’द कितने चुप-चाप से लगते हैं शजर शाम के बा’द

इतने चुप-चाप कि रस्ते भी रहेंगे ला-इल्म छोड़ जाएँगे किसी रोज़ नगर शाम के बा’द

मैं ने ऐसे ही गुनह तेरी जुदाई में किए जैसे तूफ़ाँ में कोई छोड़ दे घर शाम के बा’द

शाम से पहले वो मस्त अपनी उड़ानों में रहा जिस के हाथों में थे टूटे हुए पर शाम के बा’द

रात बीती तो गिने आबले और फिर सोचा कौन था बाइस-ए-आग़ाज़-ए-सफ़र शाम के बा’द

तू है सूरज तुझे मा’लूम कहाँ रात का दुख तू किसी रोज़ मिरे घर में उतर शाम के बा’द

लौट आए न किसी रोज़ वो आवारा-मिज़ाज खोल रखते हैं इसी आस पे दर शाम के बा’द


शायर: फ़रहत अब्बास शाह


Related Posts

See All
मेरे अशआर किसी.. को ना सुनाने देना

मेरे अशआर किसी.. को ना सुनाने देना जब मै दुनिया से चला ..जाऊँ तो जाने देना साथ इनके है बहुत ख़ाक उड़ाई मैंने इन हवाओं को मेरी ख़ाक उड़ाने...

 
 
 
लहू न हो तो क़लम तर्जुमाँ नहीं होता

लहू न हो तो क़लम तर्जुमाँ नहीं होता हमारे दौर में आँसू ज़बाँ नहीं होता जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता ये...

 
 
 

Comentarios


bottom of page